Chapter 9. अनुवांशिकता एवं जैव विकास

 अध्याय-समीक्षा


  • स्पीशीज में विभिन्नताएँ उसे उत्तरजीविता के योग्य बना सकती हैं अथवा केवल आनुवंशिक विचलन में योगदान देती हैं।
  • कायिक ऊतकों में पर्यावरणीय कारकों द्वारा उत्पन्न परिवर्तन वंशानुगत नहीं होते।
  • विभिन्नताओं के भौगोलिक पार्थक्य के कारण स्पीशीकरण हो सकता है।
  • विकासीय संबंधों को जीवों के वर्गीकरण में ढूँढ़ा जा सकता है।
  • काल में पीछे जाकर समान पूर्वजों की खोज से हमें अंदाजा होता है कि समय के किसी बिंदु पर अजैव पदार्थों ने जीवन की उत्पत्ति की।
  • जैव-विकास को समझने के लिए केवल वर्तमान स्पीशीश का अध्ययन पर्याप्त नहीं है, वरन् जीवाश्म अध्ययन भी आवश्यक है।
  • अस्तित्व लाभ हेतु मध्यवर्ती चरणों द्वारा जटिल अंगों का विकास हुआ।
  • जैव-विकास के समय अंग अथवा आकृति नए प्रकार्यों के लिए अनुकूलित होते हैं। उदाहरण के लिए, पर जो प्रारंभ में ऊष्णता प्रदान करने के लिए विकसित हुए थे, कालांतर में उड़ने के लिए अनुकूलित हो गए।
  • विकास को ‘निम्न’ अभिरूप से ‘उच्चतर’ अभिरूप की ‘प्रगति’ नहीं कहा जा सकता। वरन् यह प्रतीत होता है कि विकास ने अधिक जटिल शारीरिक अभिकल्प उत्पन्न किए हैं जबकि सरलतम शारीरिक अभिकल्प भलीभाँति अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं।
  • मानव के विकास के अध्ययन से हमें पता चलता है कि हम सभी एक ही स्पीशीश के सदस्य हैं जिसका उदय अफ्रीका में हुआ और चरणों में विश्व के विभिन्न भागों में फैला |
  • अध्याय 9. अनुवांशिकता एवं जैव विकास 


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    1. यदि एक ‘ लक्षण - A ’ अलैंगिक प्रजनन वाली समष्टि के 10 प्रतिशत सदस्यों में पाया जाता है तथा ‘ लक्षण - B ’ उसी समष्टि में 60 प्रतिशत जीवों में पाया जाता है, तो कौन सा लक्षण पहले उत्पन्न हुआ होगा?

    उत्तर :  लक्षण - ' B ’ पहले उत्पन्न हुआ होगा क्योंकि इसका प्रतिशत ज्यादा हैं | लक्षण ' A ' केवल 10 प्रतिशत जीवों में है | अलैंगिक प्रजनन में DNA  प्रतिकृति के समय कम विभिन्नताएँ होती है |

    2. विभिन्नताओं उत्पन्न होने से  किसी स्पीशीज का अस्तित्व किस प्रकार  बढ जाता है ?

    उत्तर : पीढ़ी दर पीढ़ी जीवों के अनुसार स्वयं को बदलना पड़ता है | वह वातावरण के अनुसार अनुकूलित होने पर ही जीवित रह सकते है | अतः विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज का अस्तित्व बदल जाता है | तथा यह लैंगिक जनन में उत्पन्न होती है |

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    1. मेंडल के प्रयोगों द्वारा कैसे पता चला कि लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं?

    उत्तर :  मेंडल ने बौने व लंबे मटर के पौधों का संकरण किया F1 ( प्रथम पीढ़ी ) में नंही पौधों लंबे आकार के थे | इस प्रकार बौनापन Fपीढ़ी में नंही दिखा | इसके पश्चात् उसने दोनों तरह के पैतृक पौधों तथा  F1 पीढ़ी का स्वपरागण कराया | अब उत्पन्न F2 के सभी पौधे लंडे नहीं थे | इसका निष्कर्ष निकला कि लंबे होने का लक्षण प्रभावी व बौनेपन का लक्षण अप्रभावी हैं

    2. मेंडल के  प्रयोगों से कैसे पता चला कि विभिन्न लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं?

    उत्तर : मेंडल ने गोल बीज वाले लंबे पौधों का झुर्रीदार बीजों वाले बिने पौधों से संकरण कराया तो   संतति में सभी पौधे प्र्ब्नावी लक्षणों के थे | परन्तु   संतति में कुछ पौधे गोल बीज वाले , कुछ झुर्रीदार बीज वाले बौने पौधे थे | अतः ये लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं | 

    3. एक A ।.रुध्रि वर्ग’ वाला पुरुष एक स्त्री जिसका रुध्रि वर्ग 'O' है, से विवाह करता है। उनकी पुत्री का रुधिर वर्ग - 'O' है। क्या यह सूचना पर्याप्त है यदि आपसे कहा जाए कि कौन सा विकल्प लक्षण-रुध्रि वर्ग- 'A' अथवा 'O' प्रभावी लक्षण हैं? अपने उत्तर का स्पष्टीकरण दीजिए।

    उत्तर : यह सुचना पर्याप्त नहीं हैं | कुछ लक्षण जीनोम में निहित होते हैं | परन्तु जानकारी के अनुसार हम कह सकते हैं | कि रूधिर वर्ग (O) प्रभावी हैं | कुछ लक्षण जीन में छुपे होते है केवल प्रभावी लक्षण दिखाई देते हैं | 

    4. मानव में बच्चे का लिंग निर्धारण कैसे होता है?

    उत्तर : बच्चे में लिंग को लिंग गुणसूत्र निर्धारित करता हैं | मानव में गुणसूत्र निर्धारित करता हैं | मानव में गुणसूत्र के 23 जोंडे होते हैं | जिसमें से 1 जोड़ा लिंग गुणसूत्र का होता हैं सित्रयों में लिंग गुणसूत्र (xx) होते हैं | लेकिन पुरूषों में लिंग गुणसूत्र (xy) होते हैं सभी बच्चे माँ से "x" गुणसूत्र पाए जाते है| परन्तु पिता से "X" या "Y" कोई भी |इस प्रकार पिता का गुणसूत्र निर्णय लेता है कि बच्चा बेटा है या बेटी | 

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    1. वे कौन से विभिन्न तरीके हैं जिनके द्वारा एक विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है।

    उत्तर :  विशिष्ट लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या निम्न तरीकों से समष्टि में बढ़ सकती है

    (i) समष्टि की वृद्धि लौंगिक प्रजनन पर आधारित है | विभिन्नताएँ ही स्पीशीज को सुरक्षित रखती है | छोटे जीव बड़े जीवों से सुरक्षित रखने के लिए रंग विभेद कर सकता है |

    (ii) छोटी समष्टि अधिक शिकार बनती है अत: आकार परिवर्तन के कारण भी एक व्यष्टि बच सकती है |       

    2. एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यतः अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते। क्यों?

    उत्तर : एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक प्रभावी लक्षण डी.एन.ए द्र्वारा स्थानांतरित होते है उपार्जित लक्षण डी.एन .ए में नहीं आते अत: ये अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते | 

    3. बाघों की संख्या में कमी आनुवंशिकता के दृष्टिकोण से चिंता का विषय क्यों है।  

    उत्तर : पर्यावरण के अनुसार यदि कोई व्यक्ति अपने अन्दर बदलाव उत्पन्न करता है तभी वह जीवित रह पता हैं | बाघ पर्यावरण के अनुकूल परिवर्तन नहीं कर रहे | पर्यावरण में मनुष्य के द्र्वारा आए दिन परिवर्तन हो रहे है | बाघों की संख्या दिन -प्रतिदिन घटती जा रही है जो चिंता का विषय है |

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    1. वे कौन से कारक हैं जो नयी स्पीशीश के उद्भव में सहायक हैं?         

    उत्तर : कारक जो नवीन स्पीशीज के जन्म में सहायक है | 

    (a) शारीरिक लक्षणों में परिवर्तन |

    (b) गुणसूत्रों की संख्या में परिवर्तन |

    (c) विभिन्नताएँ जिसमें जनन की क्षमता न हो |

    (d) आनुवंशिक विचलन वा प्राक्रतिक वरण |

    2. क्या भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीश के  पौधें के जाति - वद्र्भव का प्रमुख कारण हो सकता है? क्यों या क्यों नहीं?

    उत्तर : भौतिक लक्षण भौगोलिक पृथक्करण द्वारा प्रभावित होते है | और इनमें विभिन्नता जाति उद्र्भव का एक अन्य कारण हो सकता है परन्तु मुख्य कारण डी.एन .ए  प्रतिकृति के दौरान उनमें परिवर्तन आना होता है | स्वपरागित स्पीशीज में नई पीढियों में नए बदलाव या विभिन्नताएँ उत्पन्न होने की उम्मीद बहुत कम होती है |

    3. क्या भौगोलिक पृथक्करण अलैंगिक जनन वाले जीवों के जाति उद्र्भव का प्रमुख कारक हो सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं?

    उत्तर :  अलैंगिक जनन में उत्पन्न जिव लगभग एक दुसरे के सामान होते है तथा उनमें बहुत थोड़ा अन्तर होता है | इस क्रिया में विभिन्नताएँ DNA प्रतिकृति के दौरान  ही होती है तथा ये विभिन्नताएँ बहुत कम होती है |  भौगोलिक पृथक्करण इनमें जाति उद्र्भव का प्रमुख कारक हो सकता है क्योंकि इसके कारण ही नए वातावरण में जीवित रहने वी जीव अपने अन्दर नए उत्पन्न करते है |   

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    1. उन अभिलक्षणों का एक उदाहरण दीजिए जिनका उपयोग हम दो स्पीशीज़ के  विकासीय संबंध निर्धारण के  लिए करते हैं?

    उत्तर : दो स्पीशीज़ के  विकासीय संबंध निर्धारण के उदाहरण:- पक्षियों , सरीसृप व जल - स्थलचर की तरह ही स्तनधारियों के भी चार पैर होते है | चाहे इनकी आधारभूत संरचना एक पर भिन्न कार्य सम्पन्न करने के लिए इनमें रूपांतरण हुआ है | इस प्रकार समजात लक्षणों से ही हम इन संबंधो को समझ सकते है |  
    2. क्या एक तितली और चमगादड़ के पंखों को समजात अंग कहा जा सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं?

    उत्तर : नहीं ,वे समाजात नहीं समरूप अंग कहलाते है | तितली और चमगादड़ के पंखों की संरचना अलग होती है | वे उत्पति मर भी एक समान नहीं है | 

    तितली के पंख में हह्रिहयाँ नहीं होती जबकि चमगादड़ में होती है |

    3. जीवाश्म क्या हैं? वे जैव-विकास प्रक्रम के विषय में क्या दर्शाते हैं?

    उत्तर : मृत जीवों के अवशेष ,चट्टानों पर के चिन्ह या उम्नके साँचे व शरीर की छाप जो हजारों साल पूर्व जीवित थे | इस तरह के सुरक्षित अवशेष जीवाश्म कहलाते है | ये जीवाश्म हमें जैव - विकास प्रकम के बारे में कई बातें बताते है जैसे कौन से जीवाश्म नवीन है तथा कौन से पुराने , कौन सी स्पीशीज विलुप्त हो गई है | ये जीवाश्म विकास विभिन्न रूपों तथा वर्गों कभी वर्णन करते गुणों को भी ज्ञात कर सकते है |

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    1. क्या कारण है कि आकृति, आकार, रंग-रूप में इतने भिन्न दिखाई पड़ने वाले मानव एक ही स्पीशीज के सदस्य हैं?

    उत्तर : सभी मानव एक ही स्पीशीज के सदस्य है | जैसे - उत्खनन , समय - निर्धारण व जीवाश्म अध्य्य के साथ डी.एन.ए. अन्रुक्रम के निर्धारण से मानव के विभिन्न चरणों का ज्ञान होता है | मानव पूर्वजों का उद्र्भव अफ्रीका से हुआ | अफ्रीका से पूर्वज विभिन्न क्षेत्रों में फ़ैल गए तथा कुछ वहीँ पर रह गए | अत: आभासी प्रजातियों का कोई जैविक आधार नहीं है | 
    2. विकास के आधार पर क्या आप बता सकते हैं कि जीवाणु, मकड़ी, मछली तथा चिम्पैंजी में किसका शारीरिक अभिकल्प उत्तम है? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।

    उत्तर : मानव एवं  चिम्पैंजी दोनों के ही पूर्वज एक सामान थे | चिम्पैंजी मानव के ही सामान अपने क्रियाकलाप सम्पन्न कर सकता है | परन्तु अत्यधिक जटिलता के कारण विकास कि दृष्टि से शरीरिक अभिकल्प में त्रुटियाँ भी है पर फिर भी जीवाणु , मकड़ी व मछली से उत्तम है | 

  • अध्याय : 9 ( आनुवंशिक एंव जैव विकास ) 


    Q1. मेंडल के  एक प्रयोग में लंबे मटर के पौधे जिनके बैंगनी पुष्प थे, का संकरण बौने पौधें जिनके सफेद पुष्प थे, से कराया गया। इनकी संतति के सभी पौधें में पुष्प बैंगनी रंग के  थे। परंतु उनमें से लगभग आधे बौने थे। इससे कहा जा सकता है कि लंबे जनक पौधें की आनुवंशिक रचना निम्न थी |

    (a) TTWW

    (b) TTww

    (c) TtWW

    (d) TtWw

    उत्तर : (c) TtWW | 

    Q2. समजात अंगों का उदाहरण है | 
    (a)  हमारा हाथ तथा कुत्ते  अग्रपाद |
    (b)  हमारे दाँत तथा हाथी के  दाँत | 
    (c)  आलू एवं घास के  उपरिभूस्तारी |
    (d)  उपरोक्त सभी | 

    उत्तर : (d)  उपरोक्त सभी |  

    Q3. विकासीय दृष्टिकोण से हमारी किस से अध्कि समानता है ? 

    (a)  चीन के  विद्यार्थी
    (b) चिम्पैंजी
    (c)  मकड़ी
    (d)  जीवाणु 

    उत्तर : (a)  चीन के  विद्यार्थी | 

     Q4 : एक अध्ययन से प्या चलन कि के रंग की आँखों वाले बच्चों के  जनक ( माता-पिता )  की आँखें भी हलके रंग की होती हैं। इसके आधार पर क्या हम कह सकते हैं कि आँखों के  हलके रंग का लक्षण प्रभावी है अथवा अप्रभावी? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।

    उत्तर : इस आधर पर यह खा जा सकता है | कि आँखों के हल्के रंग का लक्षण प्रभावी है | क्योंकि माता - पिता की आँखें भी हल्के रंग की है अत: हम प्रभावी लक्षण हल्के रंग को कहेंगें हांलाकि गहरे रंग का लक्षण अप्रभावी है |  

    5. जैव-विकास तथा वर्गीकरण का अध्ययन क्षेत्रा किस प्रकार परस्पर संबंध्ति है।

    उत्तर : मानव के पूर्वज एक ही थे | धीरे - धीरे जीवों का विकास हुआ तथा इसी विकास के कारण जीव सरलता से जटिलता की ओर अग्रसर हुए तथा विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत हुए | इस प्रकार जैव विकास ही वर्गीकरण की सीढ़ी है | 

    6. समजात तथा समरूप अंगों को उदाहरण देकर समझाइए।

    उत्तर : वे अंग जो आधारभूत संरचना में एक समान है परन्तु भिन्न - भिन्न कार्य करते है , समजात अंग कहलाते है उदाहरण - पक्षी , जल - स्थलचर अन्य के चार पैर होते है परन्तु सबके कार्य भिन्न है | इसके ठीक विपरीत वे अंग जिनकी आधारभूत संरचना एक समान नंही होती परन्तु भिन्न - भिन्न जीवों में एक ही सामान कार्य करते है ,समरूप अंग कहलाते है |    उदाहरण -  चमगादड़ व पक्षी के पंख | चमगादड़ के पंख दिर्घित अंगुली के बीच की त्वचा के फैलने से परन्तु पक्षी पूरी अग्रबाहू की त्वचा के फैलने से बनती है |                                    

    7. कुत्ते की खाल का प्रभावी रंग ज्ञात करने के उद्देश्य से एक प्रोजेक्ट बनाइए।

    उत्तर : इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए हमें एक काले रंग का कुता व एक सफ़ेद रंग की कुतिया लेनी होगी | यदि दोनों के मध्य संकरण करने के पश्चात सभी संतानें काली रंग की उत्पन्न होती है तो हम कह सकते है कि काला रंग प्रभावी है तथा सफ़ेद रंग अप्रभावी है |  

    8. विकासीय संबंध् स्थापित करने में जीवाश्म का क्या महत्त्व है?

    उत्तर : जीवाश्म उन जीवों के अवशेष है जो अब विलुप्त हो चुके है | जब हम उन जीवों के जीवाश्मों की संरचना की तुलना वर्तमान जीवों से करते है तो हमें पता चलता है की किस प्रकार जीवों का विकास हुआ तथा जीवाश्म विकास क्रम प्रणाली की भी व्याख्या करते है | 

    9. किन प्रमाणों के आधार पर हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है?

    उत्तर :सन् 1929 में ब्रिटिश वैज्ञानिक जे .बी.एस. हाल्डेन ने बताया कि शायद कुछ जटिल कार्बनिक अणुओं का संश्लेष्ण हुआ जो जीवो के लिए आवश्यक थे | प्राथमिक जीव अन्य रासायनिक संश्लेष्ण द्वारा उत्पन्न  हुए होगें | इसके आमेनिया , मीथेन , तथा हाइड्रोजन सल्फाइड के अणु परन्तु ऑक्सीजन के नंही थे | 100० C से कम ताप पर गैसों के मिश्रण में चिंगारियां उत्पन्न  करने पर एक सप्ताह बाद 15 प्रतिशत कार्बन सरल कार्बनिक यौगिकों में बदल गए | इनमें एमीनो अम्ल भी संश्लेषित हुए जो प्रोटीन के अणुओं को बनाते हैं | इस प्रकार अजैविक पदार्थो से जीवों की उत्पति हुई |     

    10. अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ अधिक स्थायी होती हैं, व्याख्या  कीजिए। यह लैंगिक प्रजनन करने वाले जीवों वेफ विकास को किस प्रकार प्रभावित करता है?

    उत्तर : अलैंगिक जनन विभिन्नताएँ बहुत कम होती है क्योंकि DNA प्रतिकृति लगभग समान होती है अतः संतान में भी अत्यधिक समानता पाई जाती को जन्म देते है | इस प्रकिया में DNA की विभिन्नताएँ स्थायी होती  है तथ स्पीशीज के असितत्व के लिए भी लाभप्रद है |   

    11. संतति में नर एवं मादा जनकों द्वारा आनुवंशिक योगदान में बराबर की भागीदारी किस प्रकार सुनिश्चित की जाती है।

    उत्तर : लैंगिक प्रजनन में जिन सेट केवल एक DNA श्रृंखला के रूप में नंही होता | DNA के दो स्वतंत्र अणु दो गुणसूत्र मिलते है | लैंगिक जनन में संतान को दो गुणसूत्र मिलते है - एक पिटे तथा एक माता से | जो लक्षण प्रभावी होता है व्ही संतान में दिखाई देता है |   

    12. केवल वे विभिन्नताएँ जो किसी एकल जीव ( व्यष्टि ) के  लिए उपयोगी होती हैं, समष्टि में अपना अस्तित्व बनाए रखती हैं। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? क्यों एवं क्यों नहीं?

    उत्तर : हाँ , यह सत्य है | प्रकृति जीवों कण चयन करती है | वे जीव जो विभिन्नता दर्शाते है तथा स्वयं को पर्यावरण के अनुकूल बन लेते है जीवित रह पाते है | इसके विपरीत जो विभिन्नता नंही दर्शाते है , विलुप्त हो जाते है | iउदाहरण - पर्यावरण की प्रतिकूलता से बाघों की संख्या में कमी आना | 

  • अध्याय :9 (आनुवंशिकता एवं जैव विकास )


    1. मेंडल ने अपने प्रयोगों के लिए किस पौधे को चुना?

    उत्तर : मटर के पौधे को|

    2. जीन क्या होता हैं?

    उत्तर : जीन वह सूक्ष्मतम आनुवंशिक इकाई हैं, जो गुणसूत्रों में उपस्थित DNA का एक भाग होता हैं तथा लक्षण को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित करते हैं|

    3. आनुवंशिकता से आपका क्या  


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