खाद्य श्रृंखला एवं खाद्य जाल,food chain and food web in hindi

खाद्य श्रृंखला एवं खाद्य जाल,food chain and food web in hindi


 पारिस्थितिकी तंत्र में विभिन्न खाद्य श्रंखला मिलकर एक जाल का निर्माण करती हैं जिसे खाद्य जाल कहते हैं। इसमें खाद्य ऊर्जा का प्रवाह विभिन्न दिशाओं में होता है। एक खाद्य श्रंखला का संबंध दूसरी खाद्य श्रृंखला से होता है। विभिन्न पोषण स्तर से भोजन प्राप्त होता है।

घास – खरगोश – बाज
घास – टिडडा – बाज
घास – टिडडा – छिपकली – बाज
घास – चूहा – बाज
घास – चूहा – सांप – बाज
घास- बकरी- मनुष्य

ऊपर बताए गए उदाहरण में बाज खरगोश को खा सकता है। इसके साथ ही टिड्डे को खा सकता है पर यह भी हो सकता है कि पहले टिड्डा घास का खाये। फिर टिड्डा को छिपकली खाये।

उसके बाद बाज उसे खाए। इसी तरह यह भी संभव है कि चूहा घास खाये, सांप चूहे को खाए। बाज सांप को खाये। इस तरह यह देखने को मिलता है कि जीव विभिन्न खाद्य श्रृंखलाओं से अपना भोजन प्राप्त करते हैं।

खाद्य श्रृंखला Food chain

खाद्य श्रृंखला के अंतर्गत उत्पादक, प्रथम उपभोक्ता, द्वितीय उपभोक्ता आते हैं। यह श्रृंखला पौधों से शुरू होती है। पौधों को टिड्डा खरगोश हिरन जैसे जीव खाते हैं। फिर उन जीवो को दूसरे जीव खाते हैं।

इस तरह एक चक्र चलता रहता है। खाद्य श्रृंखला में 10% ऊर्जा आगे बढ़ती है जबकि 90% ऊर्जा विलुप्त हो जाती है। अधिकतर खाद्य श्रृंखला में 4-5 कड़ियाँ होती हैं। पारिस्थितिकी तंत्र में सभी जीव एक दूसरे पर निर्भर होते हैं

पेड़ पौधे सूर्य के प्रकाश, प्रकाश संश्लेषण और जल के द्वारा अपना भोजन बनाते हैं। पहले स्तर पर शाकाहारी जीव आते हैं जो पेड़ पौधों को खाते हैं इसलिए पौधों को उत्पादक कहा जाता है।

उत्पादक Producers

इसके अंतर्गत ऐसे जीव जंतु आते हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वनस्पतियों पर निर्भर है।

प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता Primary Consumers

इसके अंदर भेड़, बकरी, हाथी, हिरण, गाय, खरगोश, चूहा, बंदर जैसे शाकाहारी जीव आते हैं। शाकाहारी जीव अपने भोजन के लिए पेड़ पौधों वनस्पतियों पर निर्भर होते हैं। वे पेड़ पौधे या उनके फल खाकर जीवित रहते हैं।

द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ता Secondary Consumers

इस श्रेणी में वे सभी जीव आते हैं जो प्रथम उपभोक्ताओं पर निर्भर रहते हैं। इस तरह के जीव मांसाहारी होते हैं और प्रथम उपभोक्ताओं को भक्षण कर जीवित रहते हैं। इसमें मेंढक, मछलियां, कीट खाने वाले पक्षी, छिपकली जैसे जीव जंतु होते हैं,

तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता Tertiary Consumers

इसके अंदर वह सभी जीव आते है जो भोजन के लिए द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ताओं पर निर्भर करते हैं। जैसे भालू, गीदड़, लोमड़ी, शेर आदि।

अपघटक Decomposers or Saprophytes

इसके अंतर्गत सूक्ष्मजीव आते हैं जो मृत जीव जंतु और वनस्पतियों को आहार बनाकर सूक्ष्म अवयवों में तोड़ देते हैं। उन्हें सड़ाकर नष्ट कर देते हैं। मृत भक्षी जीव दूसरे मृत जीव जंतुओं को खाकर कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फेट, फास्फेट, नाइट्रोजन, जल को मुक्त करते हैं।

पारिस्थितिकी तंत्र के घटक

अजैविक घटक

इसके अंतर्गत ताप, वर्षा, वायु, जल, वातावरण, प्रकाश, खनिज जैसे तत्व आते हैं।

जैविक घटक

इसके अंतर्गत उत्पादक और उपभोक्ता आते हैं।

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