सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा के प्रतिपादकों का कथन है कि 'सिर्फ राज्य ही नहीं शक्तियों और समुदायों या कहें कि समूची मानवता को सुरक्षा की जरूरत है'।

0.51. विश्व सुरक्षा की धारणा की उत्पत्ति कैसे हुई ?

Ans. विश्वव्यापी खतरे जैसे वैश्विक तापवृद्धि, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद, एड्स और बर्ड फ्लू जैसी महामारियों के मद्देनजर 1990 के दशक में विश्व धारणा की उत्पत्ति हुई।

कोई भी देश इन समस्याओं का समाधान अकेले नहीं कर सकता। इन स्थितियों का दूसरे देशों पर प्रभाव पड़ सकता है।

0.52 विश्व में खाद्य उत्पादन की कमी के क्या कारण है।

Ans. विश्व के कृषि योग्य भूमि में कोई बढोत्तरी नहीं हो रही है जबकि मौजूदा उपचार भूमि के एक बड़े हिस्से की उर्वरा शक्ति कम हो रही है।

चरागाह समाप्त होने को है, मत्स्य भंडार घट रहा है। जलाशयों में प्रदूषण बढ़ रहा है। 0.53. विश्व में स्वच्छ जल की क्या स्थिति है?

Ans. संयुक्त राष्ट्र संघ की विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार विकासशील देशों की एक अरब 20 करोड़ जनता को स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं होता।

साफ-सफाई की सुविधा से 30 लाख से अधिक बच्चे वंचित हैं। फलस्वरूप उनकी मौत हो जाती है।

Q.54. ओजोन परत में छेद होना क्या है ?

Ans. पृथ्वी की ऊपरी वायुमंडल में ओजोन गैस की मात्रा में लगातार कमी हो रही है। इसे ओजोन परत में छेद होना भी कहते हैं।

इससे पारिस्थितिकी तंत्र और मनुष्य के स्वास्थ्य पर एक वास्तविक खतरा मंडरा रहा है। Q.55. पृथ्वी सम्मेलन या रियो सम्मेलन क्या है?

Ans. 1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ का पर्यावरण और विकास के मुद्दे पर केन्द्रित एक सम्मेलन ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में हुआ। इसे पृथ्वी सम्मेलन कहा जाता है।

वैश्विक राजनीति के क्षेत्र में पर्यावरण को लेकर बढ़ते सरोकारों को इस सम्मेलन में एक ठोस रूप मिला।

0.56. अंटार्कटिक महोदश का विस्तार बताइये।

Ans. इसका क्षेत्र 1 करोड़ 40 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहाँ विश्व का | निर्जन क्षेत्र 26% है।

स्थलीय हिम का 90% हिस्सा और धरती पर मौजूद जल का 70% इस महादेश में मौजूद है। अंटार्कटिक महादेश का 3 करोड़ 60 लाख वर्ग किलोमीटर तक अतिरिक्त विस्तार समुद्र में है।

Q.57, ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम बताएँ।

Ans. ग्लोबम वार्मिंग या वैश्विक तापवृद्धि का अर्थ है विश्व में तापमान में वृद्धि। यह कार्बन डाईऑक्साइड, मीथेन और हाइड्रो फ्लोरो कार्बन आदि गैसें इसके कारण हैं।

विश्व का तापमान बढ़ने से धरती के जीवन के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है। विभिन्न देश इस संबंध में वार्तालाप कर रहे हैं। क्योटो प्रोटोकॉल नामक समझौते में विभिन्न देशों की सहमति बन गई है।

0.58. दक्षिणी देशों के वन आंदोलन की क्या कमी रही है?

Ans. अनेक दक्षिणी देशों-भारत, मैक्सिको, चिली, ब्राजील, मलेशिया, इंडोनेशिया, अफ्राका आदि में वन आंदोलन चल रहे हैं, परंतु इन पर बहुत दबाव है।

तीन दशकों से पर्यावरण को लेकर सक्रियता का दौर जारी है। इसके बावजूद तीसरी दुनि के विभिन्न देशों में वनों की कटाई खतरनाक गति से जारी है। पिछले दशक में बचा विशालतम वनों का विनाश बढ़ा है।

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