विरोधी दलों के विरोध तथा कांग्रेस की टूट ने आपातकाल की पृष्ठभमिका तैयार की थी?
Ans देश में 1952 ई. के चुनाव से ही देश एवं अधिकांश प्रांतों में काँग्रेस के पास ही सत्तार कुछ ही प्रांतों में विरोधी दलों या संयुक्त विरोधी दलों की सरकारें बनीं। वे केंद्र में सत्ता में आना चार थे। काँग्रेस के विपक्ष में जो दल थे उन्हें लग रहा था कि सरकारी प्राधिकार को निजी प्राधिकार मानक इस्तेमाल किया जा रहा है और राजनीति हद से ज्यादा व्यक्तिगत होती जा रही है। काँग्रेस टूटने से इंदिरा गाँधी और उनके विरोधियों के बीच मतभेद गहरे हो गए थे।
सत्ता पाने पर प्रायः प्रत्येक व्यक्ति में किसी-न-किसी सीमा तक घमंड आ ही जाता है। इंदिरा गाँधी भी इसका अपवाद नहीं थी। वे पुरानी काँग्रेस को पूर्णतया निर्बल बनाने की इच्छा रखती थीं। गुजरात आंदोलन तथा बिहार आंदोलनों को विरोधी दलों ने राष्ट्रव्यापी बनाना चाहा जय प्रकाश नारायण संपूर्ण क्रांति की बात कर रहे थे। ऐसी सभी घटनाओं ने आपातकाल के लिए पृष्ठभूमि तैयार की।
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