निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिा। (क) भारत की परमाण नीति (ख) विदेश नीति के मामलों में सर्व-सहमति

 निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिा।

(क) भारत की परमाण नीति

(ख) विदेश नीति के मामलों में सर्व-सहमति

Ans. (क) भारत की परमाण नीति-भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू भारत की विदेश नीति के निर्माता थे। वे विश्व शांति में सबसे बड़े समर्थक थे अत: उन्होंने परमाणु ऊर्जा के लड़ाई व युद्ध में प्रयोग करने के किसी भी स्तर पर प्रयास करने का विरोध किया। भारत की विदेश नीति में भी उन्होंने यह निश्चित किया कि भारत परमाणु ऊर्जा का प्रयोग केवल विकास कार्यों व शांति के लिए ही करेगा। भारत की परमाण ऊर्जा के संस्थापक डॉ. भाभा थे जिन्होंने पंडित नेहरू के निर्देश पर परमाणु ऊर्जा का शांति के प्रयोग करने के लिए अनेक अनुसन्धान किए। भारत ने 1974 में प्रथम परमाणु परीक्षण किया जिसके फलस्वरूप दुनिया के अनेक देशों ने भारत के खिलाफ प्रतिकूल प्रतिक्रिया की।

भारत सदैव परमाणु ऊर्जा के शान्तिपूर्ण क्षेत्र में प्रयोग का ही समर्थक रहा व विश्व के देशों पर परमाणु विस्फोट रोकने के लिए एक व्यापक संधि के लिए जोर डाला। भारत ने परमाणु प्रसार के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए की गई सन्धियों का विरोध किया क्योंकि ये संधियाँ पक्षपातपूर्ण थी। इसी कारण से भारत ने 1995 में बनी (सी० टी० बी० टी०) व्यापक परमाणु निरीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि पर हस्ताक्षर नहीं किये। 1998 में भारत में फिर परमाणु विस्फोट किये। अब परमाणु ऊर्जा के सम्बन्ध में भारत की नीति यह है कि भारत परमाणु ऊर्जा का प्रयोग शान्ति के लिए करेगा लेकिन आत्म रक्षा के लिए परमाणु क्षमता बनाने का अपना विकल्प खुला रहेगा।

(ख) विदेश नीति के मामले पर सर्वसहमति भारत की विदेश नीति की यह विशेषता रही है कि भारतीय विदेश नीति के निश्चित मूल तत्व रहे हैं सरकार व विरोधी दलों व अन्य जनमत निर्माण करने वाले वर्गों के बीच इन तत्वों पर आमतौर से सहमति रही है अगर इन तत्वों में किसी प्रकार का परिवर्तन करने की जरूरत पड़ी तो उस पर भी आम राय अर्थात् आम सहमति बनी। जैसे परमाणु शक्ति के प्रयोग के सम्बन्ध में व परमाणु परीक्षण करने के सम्बन्ध में आम सहमति रही। पंचशील गुट निरपेक्षता, पड़ोसियों के साथ सम्बन्ध व बड़ी शक्तियों के साथ सम्बन्धों पर आमतौर से सर्व सहमति रही है।


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