द्वितीय विश्वयुद्ध के उपरान्त महाशक्तियों को गुट बनाने की आवश्यकता क्यों पड़ी थी?

 द्वितीय विश्वयुद्ध के उपरान्त महाशक्तियों को गुट बनाने की आवश्यकता क्यों पड़ी थी?

Ans. द्वितीय विश्वयुद्ध के उपरान्त महाशक्तियों को गुट बनाने की आवश्यकता निम्न कारणों से पड़ी थी

1. अपने-अपने राजनीतिक प्रभाव एवं समर्थकों की संख्या बढ़ाने के लिए उन्हें अपने गुट बनाने की जरूरत पड़ी थी।

2. अनेक राष्ट्र विशेषकर यूरोप में दोनों शक्तियाँ एक-दूसरे के विरुद्ध दो विश्वयुद्ध लड़ चुकी थीं। वे अब भी सोच रही थीं कि तीसरा विश्व युद्ध छिड़ने पर वे अपने-अपने समर्थक राष्ट्रों से सैनिक, युद्ध सामग्री, खाद्य सामग्री आदि तुरंत प्राप्त कर सकेंगे।

_3. तेल (पेट्रोल) तथा डीजल उत्पादक देशों को अपनी ओर करना जरूरी था ताकि सामान्य परिस्थितियों में आर्थिक विकास तथा संकट की घड़ी में युद्ध संचालन, यातायात तथा औद्योगिक एवं कृषि उन्नति निरन्तर जारी रखी जा सके।

4. खनिज सम्पदा एशियाई, अफ्रीकी तथा लतीनी देशों से प्राप्त किये जा सकते थे।

5. अनेक देशों के समर्थन या मित्रता के बाद उनके भू-क्षेत्र को महाशक्तियाँ अपने हथियारों एवं सेना का संचालन करने के लिए उपयोग कर सकते थे।

6. महाशक्तियाँ छोटी शक्तियों के द्वीपों या भू-क्षेत्रों को जासूसी करने के लिए इस्तेमाल कर सकते थे। शत्रु के सैनिक ठिकानों का पता करना एवं उनकी जासूसी करना समर्थक देशों के माध्यम से या सहयोग से आसानी से की जा सकती है।

7. महाशक्तियाँ आर्थिक मदद लेन-देन के लिए भी अपने गुट के सदस्यों का प्रयोग कर सकते हैं।

8. पूँजीवादी गुट के देश साम्यवाद को अपनी विचारधारा के लिए हउआ मानते थे।

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