भारत की विदेश नीति का निर्माण और शांति और सहयोग के सिद्धांतों को आधार मानकर हुआ। लेकिन, 1962-1972 की अवधि यानी महज दस सालों में भारत का जीन यद्धों का सामना करना पड़ा, क्या आपको लगता है कि यह भारत की विदेश नीति भी असफलता है अथवा आप इसे अतराष्ट्राय पारस्थतियों का परिणाम मंतव्य के पक्ष में तर्क दीजिए।
भारत की विदेश नीति देश के निर्माण, शांति और सहयोग आधार पर टिकी हुई लेकिन यह भी सत्य है कि 1962 में चीन ने 'चीनी-हिन्दुस्तानी भाई-भाई' का नारा दिया और शील पर हस्ताक्षर किए लेकिन भारत पर 1962 में आक्रमण करके पहला युद्ध थोप दिया।
नि:संदेह यह भारत की विदेश नीति की असफलता थी। इसका का कळ नेता अपनी छवि के कारण अतराष्ट्राय स्तर पर शांति के दूत कहलवान
नीति से काम लेकर दूरदर्शिता दिखाई होती तो कम-से-कम चीनी के कि शक्ति से गप्त समझौता किया होता जिसके पास परमाणु हथियार होता चीन द्वारा उस समय दिखाई जा रही दादागिरी का उचित जवाब
21965 में पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण किया लेकिन के नेतत्व में भारतीय सरकार की नीति असफल नहीं हई और उस जय किसान' की आंतरिक नीति के साथ-साथ भारत की विदेश नीति की मार
2 1971 में बांग्लादेश के मामले पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ___ कटनीतिज्ञ के रूप में बांग्लादेश का समर्थन किया और एक शत्र देश
तोड़कर यह सिद्ध किया कि युद्ध में सब जायज है, हम बड़े भाई हैं पाकि नारों का व्यावहारिकता में कोई स्थान नहीं है।
इसका कारण यह था कि हमारे देश
लवाना चाहते थे। यदि उन्होंने के विरुद्ध किसी ऐसी बडी
या संकट की घड़ी में वह सब देने में हमारी सहायता करती। या लेकिन उस समय लाल बहादुर शास्त्री
स महान नेता का 'जय जवान, नीति की धाक भी जमी।
दिरा गाँधी ने एक सफल पत्र देश की कमर स्थायी रूप से
रात में सब जायज है, हम बड़े भाई हैं पाकिस्तान के, ऐसे आदर्शवा
4 हम तीन अवसरों के तीन नियम मूल्याकन आपक समक्ष प्रस्तुत कर चके हैं। में कोई स्थायी दोस्त नहीं होता। विदेशी संबंध राष्ट्रहितों पर टिके होते हैं। हर म ढिंढोरा पीटने से काम नहीं चलता। हम परमाणु शक्ति सम्पन्न हैं, यू. एन. ए. स्थाकरेंगे और राष्ट्र की एकता, अखंडता, भू-भाग, आत्मसम्मान, यहाँ के लोगों के जा प्रतिरक्षा करेंगे. केवल मात्र हमारा यही मंतव्य है और हम सदा ही इसके पक्ष में निर्णय करेंगे। आज की परिस्थितियाँ ऐसी हैं कि हमें बराबरी से हर मंच, हर स्थान पर बात करनी लेकिन यथासम्भव अंतर्राष्ट्रीय शांति, सुरक्षा सहयोग, प्रेम, भाईचारे को बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।
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