वामपंथ एवं दक्षिण पंथ के अर्थ स्पष्ट कीजिए। भारतीय राजनयिक दलों को ध्यान में रखकर दोनों रूझानों को आशय स्पष्ट कीजिए।
Ans1. वामपंथ-प्रायः वामपंथ का उल्लेख करते हुए उन लोगों या दलों की ओर संकेत किया जाता है जो प्रायः साम्यवादी या समाजवादी, माओवादी, लेनिनवादी, नक्सलवादी, प्रजासमाजवादी, फॉरवर्ड ब्लॉक आदि दल स्वयं को इसी विचारधारा के पक्षधर एवं उस पर चलने के लिए कार्यक्रम एवं नीतियाँ बनाते हैं। प्राय: ये गरीब एवं पिछड़े सामाजिक समूह की तरफदारी करते हैं। वह इन्हीं वर्गी को लाभ पहुंचाने वाली सरकारी नीतियों का समर्थन करते हैं।
भारत में भारतीय साम्यवादी दल, भारतीय साम्यवादी दल (मार्क्सवादी) समाजवादी दल स्वय को वामपंथी मानते हैं। ये लेनिनवादी-मार्क्सवादी या भूतपूर्व सोवियत संघ या साम्यवादी chin ka नीतियों एवं विकास कार्यक्रम को ही अधिक अच्छा समझते रहे हैं। समाजवादी दल भी स्वयं को
नीतियों एवं विकास कार्यक्रमको वामपंथी मानता है।
(2)dacin-इस विचारधारा से उन लोगों या दलों की ओर इंगित किया जाता है जो यह मानते
पतिस्पर्धा और बाजारमूलक अर्थव्यवस्था के द्वारा ही प्रगति हो सकती है अर्थात सरकार व्यवस्था में गैर जरूरी हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। भूतपूर्व स्वतंत्रता पार्टी, भारतीय जनसंख्या,
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस को (विशेषकर 1991 की नई आर्थिक नीति के बाद) दक्षिणा पंथ की नीतिक पार्टियाँ कहा जाता है। वर्तमान भारतीय जनता दल एवं ज्यादातर एन० डी० ए० से जुड़े दल भी दक्षिण पंथी है।
(3)अंतर्राष्ट्रीय फिजा से हम सोवियत संघ की पूर्व राजनीतिक साम्यवादी (बोल्शेविक दल) पार्टी या चीन की कम्युनिस्ट वामपंथी तो अमेरिका की दोनों राजनीतिक पार्टियों-डेमोक्रेटिक पार्टी तथा रिपब्लिकन पार्टी तथा ब्रिटेन की कंजरवेटिव पार्टी दक्षिणपंथ के अच्छे उदाहरण हैं। प्रायः दक्षिणपंथ उदारवाद, वैश्वीकरण, पूंजीवाद, व्यक्तिवाद, उन्मुक्त व्यापार आदि के पक्षधर होते हैं।
____ वामपंथ भूमि सुधारों, उद्योगों तथा भूमि एवं उत्पादन साधनों का स्वामित्व एवं प्रबंध प्रायः किसानों एवं मजदूरों के दिये जाने के पक्षधर होते हैं। 1947 से 1990 तक काँग्रेस पार्टी को मध्यवर्ती या केन्द्रीय नीतियों पर चलने वाली पार्टी माना जाता था।
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