भारत का प्रथम आम चुनाव अथवा 1952 ई. का चुनाव देश के लोकतंत्र के इतिहास के लिए मील का पत्थर (Milestone) क्यों और कैसे साबित हुआ? संक्षेप में लिखिए।
Ans 1. स्वतंत्र भारत के प्रथम आम चुनावों को दो बार स्थगित करना पड़ा और आखिरकार 1951 ई. के अक्टूबर से 1952 ई. के फरवरी तक चुनाव हुए। जो भी हो इस चुनाव को अमूमन 1952 ई. का चुनाव ही कहा जाता है क्योंकि देश के ज्यादातर हिस्सों में मतदान 1952 ई. में ही हुए। चुनाव अभियान, मतदान और मतगणना में कुल छह महीने लगे।
2. चुनावों में उम्मीदवारों के बीच मुकाबला भी हुआ। औसतन हर सीट के लिए चार उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। लोगों ने इस चुनाव में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी की। कुल मतदाताओं में आधे स अधिक ने मतदान के लिए अपना वोट डाला।
3. चुनावों के परिणाम घोषित हुए तो हारने वाले उम्मीदवारों ने भी इन परिणामों को निष्पक्ष बताया। सार्वभौम मताधिकार (UniversalAdult Franchise) के इस प्रयोग ने आलोचकों का मुहब कर दिया। टाइम्स ऑफ इंडिया ने माना कि इन चुनावों ने "उन सभी आलोचकों के संदेहों पर पाना दिया है जो सार्वभौम मताधिकार की इस शुरुआत को इस देश के लिए खतरे का सौदा मान रह
4. देश से बाहर के पर्यवेक्षक भी हैरान थे। हिंदुस्तान टाइम्स ने लिखा-"यह बात हर जगहजा रही है कि भारतीय जनता ने विश्व के इतिहास में लोकतंत्र के सबसे बड़े प्रयोग को बखूबा
बी अंजाम
दिया।" 1952 का आम चुनाव पुरी दनिया अब यह दलील दे पाना संभ नहीं कराए जा सकते। यह बात साबित हो सकता है।
रचनाव पुरी दुनिया में लोकतंत्र के इतिहास के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। नील दे पाना संभव नहीं रहा कि लोकतांत्रिक चुनाव गरीबी अथवा अशिक्षा के माहौल में
सकते। यह बात साबित हो गई कि दुनिया में कहीं भी लोकतंत्र पर अमल किया जा sakta hai
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